आज की तारीख में Article 370 का विषय भारत के लिए एक शिरदर्द बना हुवा हैं। Article 370 of Indian constitution (Dhara 370) के बारे में जान ने से पहले हमें जम्मू - कश्मीर के इतिहास को जान न जरुरी हैं।
शुरुआत में जम्मू - कश्मीर मौर्या साम्राज्य का हिस्सा हुवा करता था और उसके बाद बुद्धिसम, 5th से 14th शताब्दी तक हिन्दू , 14th से 16th सल्तनत (मुस्लिम), सन 1586 से मुग़ल, 1751 से अफ़ग़ान , 1819 से शिख साम्राज्य और आखिर मैं डोगरा ( महाराजा गुलाब सिंघ को ब्रिटीसर से भेट में मिला ) और राजा गुलाब सिंघ के बाद उसके वंसज राजा हरी सिंघ के पास रहा था।
Before Article 370 Kashmir Conflict Timeline - जम्मू कश्मीर का घटनाक्रम :
Before Article 370 Kashmir Conflict Timeline - जम्मू कश्मीर का घटनाक्रम :
भारत - पाकिस्तान बटवारे के पहले भारत में 500 से ज्यादा राजे-रजवाड़े हुवा करतें थे जो की बटवारे के समय वे भारत या पाकिस्तान में से किसी भी एक के साथ जुड़ सकते थे। जबकि राजा हरि सिंघ (जम्मू - कश्मीर के राजा) चाहतें थे की वो निष्पक्ष रहेंगे।
हालांकि महमद अली जिन्न्हा ने दलील दी की स्टेट ऑफ़ जम्मू-कश्मीर में 70 % से भी अधिक मुस्लिम की आबादी हैं और राजा हरि सिंघ को " टू नेशन थ्योरी " के मुताबिक पाकिस्तान से जुड़ना चाहिए। और उसी दौरान साऊथ वज़ीरिस्तानने पश्तून ट्राइब्समेन ( ग्रुप ऑफ़ पाकिस्तानी एंड अफ़ग़निस्तानी ) द्वारा राज्य के बारामुल्ला पर हमला कर के अपने कब्जेमें ले लिया। यहाँ तक की पाकिस्तानी सेना ने भी पश्तून ट्राइब्समेन को मदद की और उन्होंने बड़ी लूट-फाट, रेप, आगजननि, धार्मिक स्थल और मंदिरोंमें तोड़-फोड़ की। यहाँ तक की बारामुल्ला के सिनेमा हॉल तो "रेप सेंटर " बन गए थे।
इन सभी से राजा हरि सिंघ आहत हो कर 1947 के अक्टुम्बर 26, को स्वतंत्र भारत से मदद मांगी और भारत से जुड़ने के लिए उन्होंने "इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ अेक्सेशन - Instrument of Accession " पर सिग्नेचर किया जो तब लागु रहता जब तक की "विल ऑफ़ पीपल -लोगों की इच्छा । जिसका पाकिस्तान ने विऱोध किया और कहा की, राजा हरि सिंघ ने दबाव में आ कर सिग्नेचर किये हैं और ये "रेप्रेसेंटेशन विल ऑफ़ धी पीपल " नहीं हैं तभी भारतने यह मेटर सुलझाने के उदेस्य से इसे यु.एन में जनवरी 1948 को लेकर गया और यु.एन ने एक रेसोलूशन पास किया जिसको दोनों देशोने मानने से इंकार कर दिया।
उस समय शैख़ अब्दुल्लाह जो की "ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कॉनफेरेन्स" जिसको सन 1939 में "नॅशनल कॉनफेरेन्स" के स्थापक थे और उनकी कश्मीर पर अच्छी खासी पकड़ थी। और उनके जवाहरलाल नेहरू के साथ काफी अच्छे सबंध थे। उसके कारण सन 1948 में राजा हरि सिंघ ने शैख़ अब्दुल्लाह को जबतक कैबिनेट की रचना न हो तब तक "हेड ऑफ़ इमरजेंसी एडमिनिस्ट्रेशन" बना दिया इसके साथ वह जम्मू-कश्मीर के पहले प्रधानमंत्री(मुख्यमंत्री) भी बने थे।
वर्ष 1951 मैं राजा हरि सिंघ ने अपने बेटे युवराज करण सिंघ को "सदर-ए-रियासत (गवर्नर)" बनाया। और सन 1953 में शैख़ अब्दुल्लाह को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया। सन 1954 मैं आर्टिकल - 35A को प्रेसिडेंटियल आर्डर से भारतीय संविधान मैं लाया गया। सन 1974 से सितंबर 1982 मैं वापससे शैख़ अब्दुल्लाह जम्मू-कश्मीर के चीफ मिनिस्टर के पद पर काबिज़ रहे हुवे। और तब से लेकर आज तक भारत के लिए जम्मू-कश्मीर का मुद्दा अलगाववादी नेताओ ने सुलझ ने ही नहीं दिया हैं। आज के दिनों मैं केन्द्र मैं बीजेपी की सरकार हैं वे जभी अनुच्छेद - 370 की बात करती हैं अलगाववादी नेता कहतें हैं की यदि अनुच्छेद-370 को छेड़ा तो "खुनकी नदिया बहेगी" इसे जम्मू-कश्मीर की पोलिटिकल पार्टिया की निति-नियत साफ ज़ाहिर होती हैं। तो आये जानते हैं की आखिर अनुच्छेद -370 क्या कहता हैं।
जेसे की हम सभी जानतें हैं की 20th जून, 2018 से गढ़बंधन सरकार कार्य करने मैं असमर्थ होने के कारण संविधान के प्रावधान के अनुसार जम्मू-कश्मीर मैं गवर्नर(राज्यपाल ) शासन लागू किया गया हैं ।
Who Drafted Article 370 - अनुच्छेद 370 को किसने ड्राफ्ट किया :
ऍन. गोपालस्वामी अय्यंगर जो की अनुच्छेद -370 के चीफ ड्राफ्टरर थे उन्होंने जम्मू-कश्मीर के स्थानीय स्वायतराज्य(Autonomy) के समक्ष अनुच्छेद-370 के ड्राफ्ट को प्रस्तुत किया जो मंजूर हुआ। बाद में विधानसभा मैं अनुच्छेद -360A के रूप मैं प्रस्ताव रखा जो की अनुच्छेद -370 मैं परिवर्तित हुआ और एक विशिष्ट स्वायतराज्य जम्मू-कश्मीर बना।
Article 370 explanation - अनुच्छेद 370 की परिभाषा : Click Here
Article 370 Advantages and Disadvantages - फ़ायदे-नुकशान :
उस समय शैख़ अब्दुल्लाह जो की "ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कॉनफेरेन्स" जिसको सन 1939 में "नॅशनल कॉनफेरेन्स" के स्थापक थे और उनकी कश्मीर पर अच्छी खासी पकड़ थी। और उनके जवाहरलाल नेहरू के साथ काफी अच्छे सबंध थे। उसके कारण सन 1948 में राजा हरि सिंघ ने शैख़ अब्दुल्लाह को जबतक कैबिनेट की रचना न हो तब तक "हेड ऑफ़ इमरजेंसी एडमिनिस्ट्रेशन" बना दिया इसके साथ वह जम्मू-कश्मीर के पहले प्रधानमंत्री(मुख्यमंत्री) भी बने थे।
वर्ष 1951 मैं राजा हरि सिंघ ने अपने बेटे युवराज करण सिंघ को "सदर-ए-रियासत (गवर्नर)" बनाया। और सन 1953 में शैख़ अब्दुल्लाह को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया। सन 1954 मैं आर्टिकल - 35A को प्रेसिडेंटियल आर्डर से भारतीय संविधान मैं लाया गया। सन 1974 से सितंबर 1982 मैं वापससे शैख़ अब्दुल्लाह जम्मू-कश्मीर के चीफ मिनिस्टर के पद पर काबिज़ रहे हुवे। और तब से लेकर आज तक भारत के लिए जम्मू-कश्मीर का मुद्दा अलगाववादी नेताओ ने सुलझ ने ही नहीं दिया हैं। आज के दिनों मैं केन्द्र मैं बीजेपी की सरकार हैं वे जभी अनुच्छेद - 370 की बात करती हैं अलगाववादी नेता कहतें हैं की यदि अनुच्छेद-370 को छेड़ा तो "खुनकी नदिया बहेगी" इसे जम्मू-कश्मीर की पोलिटिकल पार्टिया की निति-नियत साफ ज़ाहिर होती हैं। तो आये जानते हैं की आखिर अनुच्छेद -370 क्या कहता हैं।
जेसे की हम सभी जानतें हैं की 20th जून, 2018 से गढ़बंधन सरकार कार्य करने मैं असमर्थ होने के कारण संविधान के प्रावधान के अनुसार जम्मू-कश्मीर मैं गवर्नर(राज्यपाल ) शासन लागू किया गया हैं ।
Who Drafted Article 370 - अनुच्छेद 370 को किसने ड्राफ्ट किया :
ऍन. गोपालस्वामी अय्यंगर जो की अनुच्छेद -370 के चीफ ड्राफ्टरर थे उन्होंने जम्मू-कश्मीर के स्थानीय स्वायतराज्य(Autonomy) के समक्ष अनुच्छेद-370 के ड्राफ्ट को प्रस्तुत किया जो मंजूर हुआ। बाद में विधानसभा मैं अनुच्छेद -360A के रूप मैं प्रस्ताव रखा जो की अनुच्छेद -370 मैं परिवर्तित हुआ और एक विशिष्ट स्वायतराज्य जम्मू-कश्मीर बना।
Article 370 explanation - अनुच्छेद 370 की परिभाषा : Click Here
Article 370 Advantages and Disadvantages - फ़ायदे-नुकशान :
जम्मू-कश्मीर का क्षेत्र भारतीय संविधान के आर्टिकल-1 के मुताबिक।
आर्टिकल-370 को भारतीय संविधान के पार्ट - 21 में समावेश किया हैं।
आर्टिकल-370 को भारतीय संविधान के पार्ट - 21 में समावेश किया हैं।
जम्मू-कश्मीर का खुदका और अपना संविधान हैं, जिस से वे स्पेशल स्टेटस का दर्रजा पता हैं और वही पुरे भारत में एकलोता राज्य हैं जिसका अपना अलग संविधान हो।
आर्टिकल-370 कहता हैं की यह मात्र अस्थायी(Temporary) प्रावधान हैं ना की स्थायी (Permanent), और 17th नवम्बर 1952 से लागू हैं।
यहाँ के नागरिको को दोहरि नागरिकता मिलती हैं।
राष्ट्रपति को सत्ता हैं की आर्टिकल-370 को जम्मू-कश्मीर की स्टेट असेंबली की सिफारिश या सहमति से आर्टिकल में संसोधन, सुधार या डिलीट कर सकतें हैं।
मौलिक अधिकार (Fundamental rights )" लागु नहीं हैं हालांकि मिलकत का अधिकार (Right to Property) लागु हैं पर वह केवल जम्मू-कश्मीर के स्थायी रहीश के लिए ही।
राज्य नीति के निदेशात्मक सिद्धांत (Directive Principles of State Policy) लागु नहीं हैं। आर्टिकल-352, स्टेट इमरजेंसी जम्मू-कश्मीर द्वारा घोषित की जा सकती हैं। सेंट्रल गवर्नमेंट के द्वारा नहीं।
आर्टिकल-360, सेंट्रल गवर्नमेंट जम्मू-कश्मीर में फाइनेंसियल इमरजेंसी घोषित नहीं कर सकता।
यदि जम्मू-कश्मीर और सेंट्रल गवर्नमेंट दोनों सहमत हो तो ही नेशनल इमरजेंसी घोषित की जा सकती हैं।
आर्टिकल-253, संसद की स्टेट ऑफ़ जम्मू-कश्मीर के बारे मैं संधि करने की सत्ता जैसे की अंतर्राष्ट्रीय संधि, समजौता या सम्मलेन करने से पहले स्टेट की स्वीकृति लेनी होगी, उदाहरण के तौर पर फोरेइ डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI)
सेन्ट्रल गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स ( GST ) लागू हैं।
आधिकारिक भाषा(Official Language) उर्दू जबकी प्रसाशनीक भाषा (Administrative) इंग्लिश।
जम्मू-कश्मीर अपना खुदका ध्वज रख सकता हैं और हाल मैं अलग ध्वज हैं, तिरंगा नहीं हैं।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज, प्रतीकों, चिन्हो - निशानी, मूर्ति का जम्मू-कश्मीर मैं अगर कोई अपमान करे तो उस पर राष्ट्र द्रोह या मानहानि (Defamation ) इत्यादि अपराध नहीं गीना जायेगा।
जम्मू-कश्मीर राज्य की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष का होता हैं। जबकि भारत के अन्य राज्यों मैं 5 वर्ष का होता हैं।
भारतीय संसद और सेंट्रल गवर्नमेंट को J&K के बारे मैं कायदे-कानून बनाने का बहुत ही सिमित सत्ता - अधिकार हैं। हालांकि रक्षा (Defence), विदेश संबंध (Foreign Affair) और संचार (Communicatoin) के बारे मैं क़ायदे-कानून बना सकता है।
J&K के परमानेंट रेसिडेंट के आलावा J&K मैं कोई और राज्य के लोग J&K मैं जमीन खरीद नहीं सकतें और J&K राज्य के गवर्नमेंट डिपार्टमेंट मैं नौकरी भी नहीं कर शकते।
J&K की महिलाओ के लिए सरियत कानून लागु हैं।
J&K मैं पंचायती क़ानून लागु नहीं होने के कारण वहा माइनॉरिटीज को 16 % रिजर्वेशन नहीं मिलता।
इमरजेंसी के दौरान भारतीय संविधान के आर्टिकल - 92 के मुताबिक J&K मैं गवर्नर शासन लागु किया जा सकता हैं।
आर्टिकल - 368 की राज्य संविधान संशोधन प्रक्रिया J&K मैं लागू नहीं होती।
J&K राज्य विधानसभा की सहमति के बिना भारतीय संसद राज्य क्षेत्राधिकार (State Territory Jurisdiction) में संशोधन नहीं कर सकती।
07th सितम्बर, 1986 को पहली बार J&K मैं राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।
27th मार्च, 1977 को गढ़बंधन सरकार के ध्वस्त होने के कारण पहली बार राज्यपाल शासन लगाया गया।
सन 1977 के सितम्बर में फारुख अब्दुल्लाह के बेटे शेख़ अब्दुल्लाह की डेमोक्रेटिक सरकार J&K मैं पहली बार आयी।
जम्मू-कश्मीर को 7 वें संशोधन अधिनियम 1956 से राज्य श्रेणी के रूप में सम्मिलित किया गया हैं।
सन 1956 से केन्द्रीय सिविल सेवा लागू कर दी गयी हैं और IAS & IPS की नियुक्ति भी शुरू की गयी हैं। और कॉम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) के नियम-क़ायदे भी लागू कर दिये गए हैं।
सन 1959 से जनगणना अधिनियम -1948 लागू कर दिया गया हैं।
जम्मूकश्मीर मैं शुरुआतमें भारतीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश लागु नहीं होते थें। परंतु जम्मू-कश्मीर के सविंधान मैं सन 1960 के संशोधन (Amendment) से सुप्रीम कोर्ट ने J&K हाईकोर्ट के विरुद्ध की अपील पर विचार(Hearing on Appeal) और सन 1967 से J&K की इलेक्शन अपील पर विचार करना शुरू किया हैं। जबकि अन्य भारतीय हाईकोर्ट के आर्डर J&K मैं मान्य, रेफर या लागू नहीं किया जा सकता।
सन 1964 से आर्टिकल - 356 & 357 (राज्य-राष्ट्रपति शासन में सवैधानिक मशीनरी की विफलता और आर्टिकल-356 की घोषणा) भी J&K मैं लागू हैं।
सन 1966 से प्रधानमंत्री (P.M.) से मुख्यमंत्री (C.M.) को वही सदर- ए-रियासत से गवर्नर शब्द को बदला (Substitute) गया।
J&K मैं RIT act - 2005 लागु नहीं होता, क्योंकी वहा पहेले से जम्मू एंड कश्मीर राइट टू इनफार्मेशन एक्ट -2009 (जो पहले जम्मू एंड कश्मीर राईट टू इन्फॉर्मेशन एक्ट -2004 था जिसे बाद मैं वर्ष 2008 के संशोधन के बाद 20th मार्च, 2009 से बदला गया ) लागू हैं।
जम्मू-कश्मीर को 7 वें संशोधन अधिनियम 1956 से राज्य श्रेणी के रूप में सम्मिलित किया गया हैं।
सन 1956 से केन्द्रीय सिविल सेवा लागू कर दी गयी हैं और IAS & IPS की नियुक्ति भी शुरू की गयी हैं। और कॉम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) के नियम-क़ायदे भी लागू कर दिये गए हैं।
सन 1959 से जनगणना अधिनियम -1948 लागू कर दिया गया हैं।
जम्मूकश्मीर मैं शुरुआतमें भारतीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश लागु नहीं होते थें। परंतु जम्मू-कश्मीर के सविंधान मैं सन 1960 के संशोधन (Amendment) से सुप्रीम कोर्ट ने J&K हाईकोर्ट के विरुद्ध की अपील पर विचार(Hearing on Appeal) और सन 1967 से J&K की इलेक्शन अपील पर विचार करना शुरू किया हैं। जबकि अन्य भारतीय हाईकोर्ट के आर्डर J&K मैं मान्य, रेफर या लागू नहीं किया जा सकता।
सन 1964 से आर्टिकल - 356 & 357 (राज्य-राष्ट्रपति शासन में सवैधानिक मशीनरी की विफलता और आर्टिकल-356 की घोषणा) भी J&K मैं लागू हैं।
सन 1966 से प्रधानमंत्री (P.M.) से मुख्यमंत्री (C.M.) को वही सदर- ए-रियासत से गवर्नर शब्द को बदला (Substitute) गया।
J&K मैं RIT act - 2005 लागु नहीं होता, क्योंकी वहा पहेले से जम्मू एंड कश्मीर राइट टू इनफार्मेशन एक्ट -2009 (जो पहले जम्मू एंड कश्मीर राईट टू इन्फॉर्मेशन एक्ट -2004 था जिसे बाद मैं वर्ष 2008 के संशोधन के बाद 20th मार्च, 2009 से बदला गया ) लागू हैं।
Nice Post
ReplyDeleteThanks for reading
DeleteYou can watch video over this topic by clicking link below;
https://youtu.be/9Dk-_1StRvA
The general population can relate to the constitution since it is a genuine impression of their desires and yearnings. Constitutions that have persevered through the world over are results of this strategy. injury attorney pittsburgh,
ReplyDelete