Article 35A of Indian Constitution - Aware India

Latest News And Updates of Indian Laws, News of Indian High Courts and Supreme Court including Judgements.

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

Thursday, April 4, 2019

Article 35A of Indian Constitution

Article 35A of Indian Constitution

Article 35A of Indian Constitution now is a hot topic, Other then J&k P.R. faced Unjustice hence C.G. may Abrogate Article 35A of Indian Constitution 

Article 35A of Indian Constitution 
Article 35A of Indian Constitution

    The Origine of Article 35A of Indian Constitution (जन्म), यह आर्टिकल भारतीय संविधान का एक अनूठा प्रावधान हैं।  ये भारतीय संविधान का हिस्सा तो हैं पर ऐसे मूल कानून (BAR ACT) मैं सामिल नहीं किया गया हैं , पर भारतीय संविधान के परिशिष्ट(Appendix) मैं सामिल किया गया हैं।
    जैसे की हम हटाएँ ही हैं की भारत-पाकिस्तान के बटवारे के समय स्वतंत्र भारत मैं 500 से ज्यादा राजे-रजवाड़े (Prencely States) हुवा करतें थे। जिसमें जम्मू-कश्मीर प्रिन्सेली स्टेट के राजा महाराजा हरी सिंघ थे, और उन्होंने कुछ शर्तो के अधीन स्वतंत्र भारत मैं "इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ अक्सेशन (Instrument of  Accession)" के माध्यम से सामिल होना स्वीकार किया था।
    इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ अक्सेशन यानी की एक एग्रीमेंट जो की स्वतंत्र भारत से जुड़ ते समय कुछ शर्तो के अधिन जम्मू -कश्मीर के नागरिको के हितो की रक्षा हेतु करा गया करार जो की जम्मू -कश्मीर राज्य के महाराजा हरी सिंघ और भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बिच हुआ था।
    सन 1954 मैं तबके भारतीय राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के द्वारा भारतीय संविधान के आर्टिकल - 370 मैं क्लॉज़ (1) (d) से एक प्रावधान दाखिल किया गया। और जम्मू-कश्मीर को यह अधिकार दिया गया की "राज्य जम्मू-कश्मीर के विषयो के संबंध मैं और राज्य के हित मैं " राष्ट्रपति द्वारा किया गया अपवादरूप आदेश को लागु किया जा शकेगा। जिसे Constitutional Order -48 से जाना जाता हैं, और जो आर्टिकल -370 का By -Product (उपबंध) हैं। 
    Article -35A of Indian Constitution, जम्मू-कश्मीर राज्य के संविधान को यह पावर देता हैं की राज्य विधानमंडल जम्मू-कश्मीर के स्थाई रहीशो (Parmanent Resident) के विशिष्ट अधिकार और लाभ को परिभाषित (Define) कर शकेगा, जिसे सन 1954 से लागू करदिया गया हैं।

Definition of Article 35A of Indian Constitution

Definition of Article - 35A of Indian Constitution (परिभाषा) कहती हैं की , 
    स्टेट जम्मू-कश्मीर राज्य के स्थाई रहीशो  के लिए कुछ कानून बचके रखे गए हैं। 
     जिस में कहा गया हैं की इस संविधान मैं (भारतीय संविधान ) मैं भले कुछ भी कहा हो पर ऐसा कोई कानून जो जम्मू-कश्मीर मैं अस्तित्व मैं नहीं हैं तो जम्मू-कश्मीर का विधानमंडल राज्य के लिए कानून बना सकेगी जिसमें,
  • (A)  जम्मू-कश्मीर राज्य मैं कोनसे वर्गों के लोग राज्य के स्थाई रहीश केहलायेंगे।
  • (B)  और यह स्थाई रहीश हैं उनके विशेषाधिकारों, लाभों और स्थाई राहिशो के आलावा  के लोगो पर प्रतिबन्ध लगाकर स्थाई राहिशो के हित और सबंध मैं राज्य विधानमंडल कानून बना सकता हैं;
    जिसमें, 
  1. राज्य सरकार की नौकरीओ के बारे मैं।
  2. राज्य की स्थाई मिल्कते (Immovable Properties)  को धारण और खरीद करने सबंध मैं।
  3. राज्य मैं स्थाई(Settled) होने सबंध मैं।
  4. स्कॉलरशिप लेने के अधिकार और ऐसे अन्य लाभों जो सरकार उपलब्ध करा सकती हैं।
     तथा, उक्त दिए गए कानून यदि स्थाई राहिशो के आलावा के राहिशो जो भारतीय अन्य नागरिक भले हो, उन्हें यदि बनाया गया कानून असंगत, अधिकारों को विभाजित करने वाला या तो अधिकारोंको छीनने वाला बता कर या ऐसा कह के यह कानून को रद्द(Abolish) या बादल(Abrogated) नहीं किया जा सकेगा।

Definition of P. R. for Article 35A of Indian Constitution 

    जिसमें परमानेंट रहीश की परिभाषा (Definition) कुछ इस तरह की गयी हैं की ;
    जो व्यक्ति जम्मू-कश्मीर मैं जन्मा हो वह या फिर सन 1911 से या उसके बाद जम्मू-कश्मीर मैं स्थाई(Settle) हुआ हो और उसने क़ायदे से स्थाई मिल्कते (Immovable Property) को धारण(खरीद) की हो और जो पिछले 10 वर्षो से कम नहीं उतने समय से निवास करता हो वह राज्य का स्थाई रहीश (Pramanent Resident) कह लाएगा।

Article 35A of Indian Constitution Adverse Affects

    Affect of Article 35A of Indian Constitution (असर) ये हुई की, भारत-पाकिस्तान बटवारे के समय पश्चिमी पाकिस्तान से कुच्छ शरणार्थी (Refugees) आये थे, जो की 5000 से भी ज्यादा परिवार(Families) थी जिन्हे आज भी शरणार्थी ही मन जाता हैं जिस मैं 85 % से भी ज्यादा तो पिछड़ी जाती और दलित परिवार हैं। जो आज भी  अपने अधिकारों से वंचित हैं इसके आलावा जम्मू-कश्मीर मैं वाल्मीकि और गोरखा परिवार भी हैं उसेभी अभी तक जम्मू-कश्मीर की स्थाई नागरिकता नहीं मिली।
    यह सभी लोग और अन्य भारतीय नागरिको, जम्मू-कश्मीर राज्यके सरकारी संस्थान मैं  नौकरी नहीं कर सकते, सरकारी शिक्षण संस्थान मैं दाखिला(Admission) नहीं ले सकते, शैक्षणिक स्कॉलर्शिप और अन्य शैक्षणिक लाभ भी नहीं ले सकते और तो और यह लोग स्थानीय चुनावो मैं वोटिंग भी नहीं कर सकते हालांकि यह लोग लोकसभा चुनाव मैं वोटिंग कर सकते हैं। यही सभी कारणों के चलते आर्टिकल 35A  को भारतीय सुप्रीम कोर्ट मैं चुनौती देती हुए रीट दाखिल की गयी हैं।

Challenge in S.C. Article 35A of Indian Constitution             

     वर्ष 2014 मैं "वि ध सिटिज़न (We The Citizen)" नामक दिल्ही की एक ऍन.जी.ओ ने यह कह कर सुप्रीम कोर्ट मैं रिट दाखिल की हैं की संविधान मैं सुधार करने की सत्ता केवल भारतीय संविधान के आर्टिकल -368 से, संसद को ही हैं। और आर्टिकल 35A प्रावधान संसोधन हेतु कभी संसदमें रखा ही नहीं गया हैं। इसके कारण आर्टिकल 35A  असंवेधानिक हैं और इसे रद्द या निरस्त करना चाहिए। 
    हालांकि 2014 की रिट के पहले भी सन 1956, 1961, और 1970 मैं रिट की गयी थी जिसे किसी भी कारणों के चलते खारिच कर दी गयी थी। वर्तमान मैं वर्ष 2014 की रिट सुप्रीम कोर्ट मैं पेंडिंग हैं। 

Other Reasons to Challenge Article 35A of Indian Constitution

    आर्टिकल 35A को रद्द करने सबंध मैं कुछ कारण इस तरह से हैं की हमारे मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) जेसे की
  •   आर्टिकल - 14, कानून के सामने सभी एक सामान।
  •   आर्टिकल - 15, जन्म स्थान, जाति, धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं।
  •   आर्टिकल - 16, राज्य मैं नौकरी पाने का सभी को सामान अधिकार।
  •   आर्टिकल - 19, वाणी स्वतंत्रता जिसमे भारत के किसी भी क्षेत्र मैं निवास,  व्यापर और व्यवसाय करने का अधिकार दिया गया हैं। 
    उक्त दिए गए मौलिक अधिकारों क्या उन लोग जो जम्मू कश्मीर मैं सन 1947 से यानी की लगभग 7 दशकों से रह रहे शरणार्थी और हिन्दू पिछड़े, दलित जाति के लोगो को मिलना नहीं चाहिये। 
    वेसे भी Article 35A of Indian Constitution, आर्टिकल 370 का 'बाय प्रोडक्ट-उपबंध' हैं, और आर्टिकल 370 ही यदि अस्थाई(Temporary) प्रावधान हैं तो फीर Article 35A of Indian Constitution, कैसे परमेनन्ट प्रावधान हो सकता हैं। और ऐसे रद्द,रद्दबादल या निरस्त(Abolish, Aborgate or Remove) कर सकते हैं। क्यों की यदि सभी को रोहिंग्या  मानवाधिकार दीखता हैं तो फिर जुम्म-कश्मीर मैं आये हिन्दू शरणार्थी का क्या कोई मानवाधिकार नहीं हैं ?    

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad